फ़क़ीर से फलक पर बैठाने में भी कोई कोताही नहीं बरती जाती। अपने-अपने कर्मों का लेखा-जोखा ... फ़क़ीर से फलक पर बैठाने में भी कोई कोताही नहीं बरती जाती। अपने-अपने कर्म...
सुनो! लिखी थी प्रेम कथा उसी ने हमारी हम तो उसे जी रहे थे उसके लिखे अनुसार..! सुनो! लिखी थी प्रेम कथा उसी ने हमारी हम तो उसे जी रहे थे उसके...
जब लोग बड़े तो होते हैं,पर बड़े नही होते! जब लोग बड़े तो होते हैं,पर बड़े नही होते!
जब होता है दिल बेचैन, मनोरंजन से आता है चैन, जब होता है दिल बेचैन, मनोरंजन से आता है चैन,
सफ़र का राही अब हमारा मिला जुस्तजू ख़्वाब एकतरफा मिला। सफ़र का राही अब हमारा मिला जुस्तजू ख़्वाब एकतरफा मिला।
भीड़ में भी तन्हा, रहने की कसम खा ली अपना होकर भी वो अनजान सी बनती है। भीड़ में भी तन्हा, रहने की कसम खा ली अपना होकर भी वो अनजान सी बनती है।